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Notices

Cancellation of the position of Project Associate-I against advt. no. 03(P07)/2024 New

Walk-in-interview for engagement of Project Staff under different Projects against Advt No.08/2024 New

Result of the position of Project Associate (PAT-I) against Advt no. 06/2024 New

Link for Downloading marks obtained by the candidates in the written examination for the Post of Driver vide Advt No. 04/2024 New

Shortlisted Candidates for Project Associate-I (Post Code-01) against Advertisement No. 07/2024 New

Result of the position of Project Staff (PC-01 to 06) against Advt no. 07/2024 New

Cancellation of the position of Project Associate-I against advt. no. 03(P09)/2024 New

Result for the position of Project Staff (PC-08) against Advt. no. 06/2024 New

Shortlisted Candidates for Project Associate-I (Post Code-02) against Advertisement No. 07/2024 New

Result of the position of Project Staff (PC-14) against Advt. no. 06/2024 New

Result for the post of Driver against Advt. no. 04/2024 New

Answer Keys of Written Examination for the Post of Driver vide Advertisement No. 04/2024 New

Shortlisted Candidates for PA-I against Advertisement No. 03(P12)/2024 New

Shortlisted candidates list for CSIR-CDRI-AcSIR PhD Program (January 2025) New

Result of the position of Project Staff (PC-07) against Advt. no. 06/2024 (Online) New

Shortlisted Candidates for Project Associate-I against Advertisement No. 3(P28)/2024 New

Shortlisted Candidates for Project Associate-I against Advertisement No. 03(P6)/2024 New

Answer Keys of Written Examination held on 11th Nov., 2024 for the Post of Driver vide Advertisement No. 04/2024 New

Result of the skill test conducted on 10th Nov., 2024 for the post of driver against advertisement no. 04/2024 New

Result of the Position Code 1 to 11 for Project Staff against Advt. no. 06/2024 (Walk-In-Interview) New

Result of the Position Code 12 to 21 for Project Staff against Advt. no. 06/2024 (Walk-In-Interview) New

Result of the position of Project Technical Support-III (PC-04 and 05 online mode) against Advt. no. 06/2024 New

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निदेशक से संदेश


सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ भारत के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में से एक है, जिसकी परिकल्पना हमारे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा स्वतंत्रता से पहले की गई थी ताकि देश प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नेतृत्व कर सके एवं आत्मनिर्भर बन सके। वैज्ञानिक और प्रौद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत की एक घटक प्रयोगशाला के रूप में 17 फरवरी, 1951 से राष्ट्र की सेवा में समर्पित है जोकि एक अद्वितीय अनुसंधान एवं विकास संगठन के रूप में विकसित हुआ है, जिसके पास नई औषधियों की खोज और विकास संबंधी मौलिक रसायन एवं जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए आद्योपांत विशेषज्ञता है। नई औषधियों के विकास के अलावा, संस्थान पिछले 73 वर्षों से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के क्षेत्रों में जीव विज्ञान संबंधी रोग की हमारी समझ विकसित करने और भारतीय फार्मा क्षेत्र में क्रांति लाने में बड़े पैमाने पर योगदान दे रहा है।

डॉ. राधा रंगराजन

निदेशक, सीएसआईआर-सीडीआरआई


अनुसंधान क्षेत्र

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मलेरिया, लीशमैनियासिस और फाइलेरिया के उपचारात्मक व्यवधान के रूप में नई दवाओं/दवा संयोजनों का विकास |

भावी उपचारात्मक अंतःक्षेपणों के लिए विशिष्ट लक्ष्यों और मार्गों की पहचान करना।


परजीवी जीवविज्ञान और पोषक-परजीवी अंतःक्रिया पर अनुसंधान करना।


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आधुनिक औषधि डिजाइन, पारंपरिक उपचारों की वैज्ञानिक रूप से सत्यापन और नए ज्ञान का सृजन, नवीन औषधियों से आस्टियोपोरोसिस (अस्थिक्षय) का प्रबंधन तथा फ्रैक्चर उपचार हेतु नवीन यौगिकों का विकास

आधुनिक औषधि डिजाइन, पारंपरिक उपचारों की वैज्ञानिक रूप से सत्यापन और नए ज्ञान का सृजन, नवीन औषधियों से आस्टियोपोरोसिस (अस्थिक्षय) का प्रबंधन तथा फ्रैक्चर उपचार हेतु नवीन यौगिकों का विकास

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सूक्ष्माणुरोधी (एंटिमाईक्रोवियल) को अपने विरूद्ध क्रिया करने से रोकने की क्षमता को विश्व स्वस्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सूक्ष्मारोधी प्रतिरोध (एएमआर) के रूप में परिभाषित किया है। परिणामस्वरूप, मानक उपचार अप्रभावी हो जाते हैं, संक्रमण बना रहता हैं और दूसरों में भी फैल सकता हैं। आगे कहा गया है

एएमआर भारत सहित विकासशील देशों में अत्यंत चिंता का विषय है, जहां संक्रामक रोग अधिक होता है और स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च कम" भारत विश्व में सबसे अधिक जीवाणु रोगों से ग्रसित देशों में से एक है इसलिए, देश में रुग्णता और मृत्यु दर को कम में प्रतिजैविक दवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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"स्वस्थ भारत" के सपने को साकार करने के लिए जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों (सीवीएस, सीएनएस एवं संबंधित विकारों) के लिए किफायती औषधियां

विश्व स्वास्थ्य संगठन गैर-संचारी रोग (एनसीडी) कंट्री प्रोफाइल 2014 के अनुमानों के अनुसार, हृद्वाहिका रोग (सीवीडी) भारत में मृत्यु का प्रमुख कारण है, देश में होने वाली कुल मृत्यु का 26% इन रोगों की वजह से होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 4% से अधिक भारतीय (संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरे स्थान पर) मोटापे से ग्रस्त है, जो हृद्वाहिकातन्त्र विकार का मुख्य कारण है।

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2008 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानसिक स्वास्थ्य अंतर कार्यवाही कार्यक्रमों के माध्यम से डिमेंशिया / अल्जाइमर्स रोग (एडी) को प्राथमिकता वाली स्थिति घोषित किया।

2008 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानसिक स्वास्थ्य अंतर कार्यवाही कार्यक्रमों के माध्यम से डिमेंशिया / अल्जाइमर्स रोग (एडी) को प्राथमिकता वाली स्थिति घोषित किया। सीवीएस, सीएनएस और इससे संबंधित विकारों, कैंसर, प्रजनन विनियमन (पुरुष/महिला) के लिए नई चिकित्सीय एजेंटों का विकास और आधुनिक औषधि डिजाइन, पारंपरिक उपचारों का वैज्ञानिक सत्यापन के माध्यम से अंतःस्त्रावी विकारों का प्रबंधन इस विभाग द्वारा किया जाता है।

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अर्धसूत्रण शुक्राणुजनन की निर्णायक घटना है। शुक्राणुकोशिका, गोल सुपरमैटिड्स को जन्म देने के लिए अर्धसूत्रीविभाजन से गुजरती हैं,

अर्धसूत्रण शुक्राणुजनन की निर्णायक घटना है। शुक्राणुकोशिका, गोल सुपरमैटिड्स को जन्म देने के लिए अर्धसूत्रीविभाजन से गुजरती हैं, जो बदले में फ्लैगेलेटेड शुक्राणु का रूपांतरण करता है जोकि एपिडीडिमिस के रूप में परिपक्व होता हैं। शुक्राणुजनन के इन महत्वपूर्ण चरणों के दौरान जीन अभिव्यक्ति की परिवर्तनशील लक्षणों को जानने के लिए, अनेक समानांतर गहन सिक्वेन्सिंग द्वारा चूहे के 90% से अधिक शुद्ध सूत्राअवस्थीय शुक्राणुकोशिका, गोल सुपरमैटिड्स और शुद्ध परिपक्व शुक्राणु का विश्लेषण किया गया।

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भारत में कैंसर की इलाज को किफायती बनाने हेतु कैंसर चिकित्सा और निदान के लिए नए अवसरों की खोज और विकास करना।

भारत में कैंसर की इलाज को किफायती बनाने हेतु कैंसर चिकित्सा और निदान के लिए नए अवसरों की खोज और विकास करना।

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राष्ट्रीय महत्व, अंतर्राष्ट्रीय प्रासंगिकता और सार्वजनिक स्वास्थ्य जरूरतों संबंधी बीमारियों के लिए औषधि पदार्थों और औषधी उत्पादों का पूर्व-नैदानिक और नैदानिक विकास करना।

भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दवा विनियमन और दवा नीति निर्माण के साथ निरंतर जुड़ाव।

हमारी औषधियाँ

ई-माल आर्थिटर

सेरेब्रल मलेरिया (cerebral malaria) की क्लोरोक्वीन (chloroquine) प्रतिरोधी मामलों में द्वितीय स्तर की उपचार के रूप में (1997 में थेमिस केमिकल्स लिमिटेड, मुंबई को लाइसेंस दिया गया है)

कीनमाइन्ड/ बकोपा एक्सट्रेक्ट

कीनमाइन्ड (keenmind) का विपणन अंतर्राष्ट्रीय सोहो फ्लोरडिस (Soho Flordis International) सिडनी के द्वारा किया जा रहा है और अब भारत में उपलब्ध है।

सहेली/ सेंटक्रोमेन

1992 में प्रथम गैर स्टेरॉयडल (non steroidal) महिला गर्भनिरोधक, एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड (HLL Lifecare Ltd) को लाइसेंस दिया गया और सहेली के रूप में बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है तथा राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी शामिल किया गया जो अब ब्राण्ड नाम छाया के रूप में मुफ्त उपलब्ध है।

रियूनियन/ डाल्टबोन

अस्थि-आरोग्यता के लिए नई हर्बल दवा का विकास का सफलता की कहानी।


एमओयू/लाइसेंस

सुविधाएँ और सेवाएं

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